नाज़ ओ अंदाज़
नाज़ ओ अंदाज़
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ये नाज़ ओ अंदाज़ हमारे नहीं होते
अगरचे हम आप के दीवाने नहीं होते
जो आ रही है, शम्मामा अंबर ओ उद
दीवानगी में मेरे अब ठिकाने नहीं होते
तेरे आस्ताँ से जो कर ली निबाह मैने
आरज़ू ए दिल जो तूने संवारे नहीं होते
निगाह जो देखी सो खो गए कहीं होंश
शाशा ए नूर ए हुस्न परीखाने नहीं होते
क्या खूब ये रक़्स ओ सुरूद है 'हसन'
कि मुहब्बत के कोई पैमाने नहीं होते।।