ना बेटी ना बहु
ना बेटी ना बहु
ना बेटी ना बहु, बस मुझ को औरत समझना
मैं आपके अनुभवों की इज़्ज़त करुँगी,
आप मेरी नयी सोच का सम्मान करना
उम्र में आपसे छोटी हूँ
नादान समझकर, ग़लती करने का हक़ देना
बहुत कुछ नहीं आता मुझे, सीखने का वक़्त देना
आपका बेटा है, मेरा जीवन साथी
आपकी और मेरी लड़ाई में हार उसी की होगी
उसे किसी प्रतियोगिता का पदक न बनने देना
आपके साथ बचपन बीता, मेरे साथ बाकी उम्र ख़ुशी से बिताने देना
उसके दिल का एक हिस्सा हमेशा आपका ही रहेगा
आप मुझे मेरी जगह बनाने देना
कुछ कमियाँ हैं मुझ में, कुछ अच्छाइयाँ भी
बेटी बहु नहीं, मुझे इन्सान समझकर देखना
आप मुझे प्रतियोगी न समझकर, परिवार का हिस्सा समझ लेना
ना बेटी ना बहु, बस मुझ को औरत समझना