मुश्किल होता है ।
मुश्किल होता है ।

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समझ खुद लेना, समझाना मुश्किल होता है ।
रूठ जाना आसान, मनाना मुश्किल होता है।
रिश्ते तो मिल जाते है आसानी से
उसे समेट के रख पाना मुश्किल होता है।
हर रिश्तो को पिरोह के एक माला मे
लेके चल पाना मुश्किल होता है।
पड़ जाए जब थोड़ी सी चटक बिखर जाते है रिश्ते
फिर उस रिश्तो को जोड़ पाना मुश्किल होता है।
जुड़ जाते है फिर से रिश्ते तो गांठ पड़ ही जाती है
फिर उस गांठ को मिटाना मुश्किल होता है।
अगर समझ जाए इंसान हर रिश्तो को
ऐसा कह पाना बड़ा मुश्किल होता है।