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मुक्तिधाम

मुक्तिधाम

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मै बिल्डिंगों पे बिल्डिंगे बनाता चला गया,

कंक्रीट के जंगलों को मैं उगाता चला गया ।


जमीन जमीन जमीन बस यही था मेरा धरम,

टावर पे टावर बाँधू, मेरा एक ही था करम ।


एफएसआई के कायदों को किया था खूब वसूल

हर इंच सेलेबल है, मेरे धन्धे का था उसूल ।


काम किया दिन रात, खूब पैसा कमाया,

टाउनशिप भी बसाया, मैंने हाईराइज भी बनाया ।


अब थक गया हूँ मैं, करना चाहूँ थोड़ा आराम,

भाग दौड़ वाली जिंदगी पे लगा दूँ पूर्ण विराम ।


ये आलीशान कोठी आयेगी क्या मेरे काम,

सांसे अब रुक गई है, मैं तो चला मुक्तिधाम ।



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