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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

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मुहब्बत है, कोई सौदा नहीं है !

मुहब्बत है, कोई सौदा नहीं है !

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तू कहता है कि तू प्यासा नहीं है ।

समन्दर है तो क्यों दिखता नही है ।।


अगर खामोश है कुछ बात होगी ;

ये उसका कुदरती लहजा नहीं है ।


मुकम्मल आदमी होगा भी कैसे ;

वो अब तक खुद को ही समझा नही है ।


परेशां है तेरी नाराजगी से ;

वगरना दिल कभी हारा नहीं है ।


किसी मुफ़लिस की खातिर एक फुलका ;

इनायत है, महज टुकड़ा नहीं है ।


तेरी फरमाइशें, शर्तें मेरी जाँ ;

मुहब्बत है कोई सौदा नहीं है ।



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