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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

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मत्तगयंद सवैया १

मत्तगयंद सवैया १

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रामहि संग   सिया मनही   मन  रास रचाय  लजाय  रही हैं ।

प्रीत  फुहार  अगार  पगार व  तीनहुँ  लोक  लुभाय  रही हैं ।

लोक बिसार  बिसार सभी  कुछ फाग व राग सुनाय रही हैं ।

बीच सभा सब दंग सिया मन ही मन क्यों मुसकाय रही हैं ।।



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