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Kunda Shamkuwar

Others

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Kunda Shamkuwar

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मशगूल होती जिंदगी

मशगूल होती जिंदगी

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आधी रातों की आधी बातें...

आधी बातों के अधूरे किस्से...


अधूरे किस्सों के थमते सिलसिले...

थमे सिलसिलों की एक कहानी...


कहानी को बुनती वह ख्वाबों की रातें

उस रात में बिखरे वे हज़ारो लाखों रंग...


लाखों रंगों के वे रंगबिरंगी अहसास... 

अहसासों में भीगे हुए वे सारे लम्हे...


लम्हा लम्हा रेत की धारा सा बहता वक़्त

उस बहते वक़्त को रोकती वे मुलाकातें..


उन मुलाकातों में बसते वे अहसास...

उन अहसासों से जुड़ते सिलसिले....


जुड़ते सिलसिलों में रमती जिंदगी...

और मशगूल होते जिंदगी में हम....



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