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S Ram Verma

Others

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S Ram Verma

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मन परिंदा है !

मन परिंदा है !

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मेरा मन एक परिंदा है 

जब तुझ से रूठता है 

तो वो उड़ जाता है 

और उड़ता ही जाता है 

फिर दूर कहीं जाकर 

वो रुकता है ठहरता है 

फिर अचानक रुकता है 

सोचकर व्याकुल होता है  

फिर आकुल हो उठता है


उसका मन नहीं मानता 

तो वो लौट आता है 

तेरी ही उस शाख पर 

जिस पर तुमने अपने  

विश्वास के तिनकों से 

एक घरौंदा बुना है 

उसमे आकर बैठ जाता है 

मेरा मन एक परिंदा है !


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