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S Ram Verma

Others

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S Ram Verma

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मन की बात !

मन की बात !

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मैं कवि नहीं हूँ 

ना है मुझे किसी 

खास विधा का ज्ञान 

मैं लिखता वही हूँ 

जो तुम मेरे इस 

मन में उपजाती हो

हां ये भी पता है मुझे

जो बदलती है मेरे इस 

मन के भावों को वो बस 

एक तेरी विधा है और 

वो भी तुम ही हो जो मेरे 

भावों को हु-ब-हु आखरों 

में उतरवाती हो ये मेरे 

मन की बात है इसे 

कोई गीत या कविता 

ना समझा करो तुम !   


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