ममता (तुझ में रब दिखता है.... )
ममता (तुझ में रब दिखता है.... )
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तुमसे कल ही तो मिला था
सपनों से बाहर कहीं
कुछ रूबरू तो मिला था
तुम को देखकर बीते दिनों की याद
यूँ ताज़ा हो आई थी
मानो सरसों के खेत में
फिर कोई चली पुरवाई थी
तुम भी तो थी
अपने उसी स्नेहामृत अंदाज़ के साथ
युवराज भी तुम्हें ताक रहा था
अपने अधरों पर खिली मुस्कान के साथ
तुम अक्सर सपनों के राजकुमार का
ज़िक्र करती थी
आज वही युवराज बनकर
तुम्हें अपने दिल की रानी बनाएँ है
हम भी खुश है तुम्हारी इस ख़ुशी में
जहाँ यह बहार भी सर झुकाये है
चंदा सूरज और सितारे सब तुमसे ही रौशन है
अपने अंधेरे तुम हमको दे दो
हम इनसे ही रौशन है
तुम्हारी सालगिरह पर बस इतना ही कहना है
मिलना -मिलाना एक दस्तूर पुराना
कुछ और न मुझ को कहना है
तुम अपने नाम सी अनुकूल
श्रद्धा -सुमन अर्पित करती हो
दुःख दर्द को दिल में छिपाकर रखती
सबके सामने हँसती हो
तुम रिझाती हो किसको यह बताओ
तुम छिपाती हो किसको यह बताओ
मैं तुमसे ज़्यादा जानूँ तुम को
तुम बस इतना भूल गई
पास नहीं हो मेरे लेकिन
तुम कब मुझसे दूर गई
आज भी मानो कल की बात
जब चाय की चुस्कियां
उन फुटपाथों पर भरते थे
एक हम ही नहीं है कहने वाले
जाने कितने तुम्हारा दम भरते थे
जिसका प्यार सच्चा था
उसने ही तुमको पाया है
तुम्हारी दुआओं का सिला बनकर
देखो युवराज अपना आया है
तुम उसके दिल की रानी
वो तुम्हारा राजा है उसको इतना प्यार तुम देना
वो कहे रब जैसा है
तुम ही कहो अब मुझ को ममता
क्या कंकर भी हीरे के मोल बिकता है
तुम एक दूसरे को बस इतना कहना
तुझमे रब दिखता है....
तुझमे रब दिखता है....