STORYMIRROR

Alka Ranjan

Others

4  

Alka Ranjan

Others

ममता का एहसास

ममता का एहसास

1 min
233

ममता के है रूप अनेक,

कभी देवकी तो कभी यशोदा,

ममता करती नहीं कोई भेद 

क्या सगा क्या पराया, 

क्या काला क्या गोरा,

ममता के साए में 

सब एक जैसा....

एहसास है ये ऐसा 

जिससे नर नारी क्या 

पशु पक्षी भी नहीं अछूता 

सृष्टि के कण कण में बसता 

है ये निर्मल पावन पावन 

बहती गंगा पानी जैसा...

बूंद बूंद जिसकी ओत प्रोत है

प्यार लाड़ दुलार से...

चीर सकती है जो पत्थर का सीना भी 

ला सकती है बाढ़ जो ठहरे पानी में भी 

है ये ममता पूंजी ऐसी....

जो बांटे न घटे...

पर लुटाना जो चाहे किसी पे 

तो जानें क्यों कम सा लगे.....



Rate this content
Log in