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Sanket Vyas Sk

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मल्हार का तराशा

मल्हार का तराशा

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कहीं ना कहीं किसी ने

मल्हार राग तो छेड़ा होगा, 

तभी तो इस ज़मीं ने आसमां से

बारिश को तेडा होगा। 


दीपक राग को दोहराने की 

अब कोई आवश्यकता ही नहीं, 

किसी को आगे बढ़ते देख 

किसी का दिल तो जला ही होगा। 


प्यार के इस दरबार में 

 तानसेन जैसे दीपक राग गानेवाले और 

ताना-रीरी जैसे मल्हार राग गानेवाले को

बुलाने की अब कोई जरूरत ही नहीं, 


हाँ प्यार में एक-दूसरे को जलाते और 

धोखा देकर आँखों से -

पानी बरसाने वाले को 

 देखा ही होगा


ये तो हुई प्यार भरे 

दिल वाले लोगो की बात

अब असली दुनिया में आ जाते है


जमाने में हमारे है बहोत से

तानसेन है खड़े, 

वो ही किसीको आगे बढाके 

खुद

ही जलते हैं वो बड़े ।


किसी का देखा धन दौलत और

बड़ा रुआब,

जलाते हैं दिल को वो दिखाके

झूठे ख्वाब। 


जरूरत है यहाँ पर एक एसे 

मल्हार राग की, 

जो मिटाएं जलन

ये झूठे ख्वाब की।


कुछ एसे लगावो से भरा हो

जो मल्हार राग, 

जो मिटाएं सारे जलन के दाग,


प्यार, हुंफ से भरा हो ये राग, 

जो मिटाएं जलन और सारे झूठे ख्वाब। 


जब बीच में प्यार की दो लाइन आ गई थी

तो उसपर छोटा सा ये शायराना अंदाज में

प्यार भरा दर्द निकला...




कभी ना कभी किसीने 

मल्हार राग तो छेड़ा होगा, 

तभी तो इन आँखों में 

पानी का बसेरा हुआ होगा

  




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