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Rita Jha

Others

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Rita Jha

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मकर संक्रांति

मकर संक्रांति

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मौसम करवट ले रही है, हुई अब सर्दी भी गुलाबी।

लोगों का व्यवहार भी अब हो रहा थोड़ा सा नवाबी।।

मन में उल्लास छा रहा, रवि उत्तरायण की ओर जा रहा।

रंग-बिरंगी पतंगों से गगन भी मस्ती में खिलखिला रहा।।


पूरे भारत देश का कुछ एक समान ही है अब हाल।

लड़ते हैं भले महामारी से परंतु बदलते नहीं चाल।।

सज़ गई है दुकानें सारी और सज गए हैं अब बाज़ार।

लाई तिलकुट और गुड़ तिल रेवड़ी के बढ़ गए खरीदार।।


चौदह या पंद्रह जनवरी को भानुदेव छोड़ते धनु राशि।

खरमास की समाप्ति पर प्रवेश करते वह मकर राशि। 

पौष मास का समापन शुभ माघ मास का होता आगमन।

त्योहार एक है भले अलग-अलग जगह अलग है नामकरण।।


भानूदय से पूर्व उठ कर गंगा या नदी में डुबकी लगाते।

तिल गुड़ दान देकर, हवन संग पूजन इष्ट की करते।

खिचड़ी दही, घी, अचार व सब्जियों के चटखारे लगाते

कहीं-कहीं सात दिनों तक बच्चे घर घर जाकर लोहड़ी गाते।।



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