मजबूर
मजबूर
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न जाने क्या-क्या
याद आ जाता है
जब-जब दिख जाता है
सड़क किनारे जामुन बेचता
कोई बुजुर्ग ।
जामुन खरीद लेने को
विवश कर देती है,
उसकी आशा भरी आँखें।
जामुन की मिठास तो
मुँह में ही रह जाती है,
उतर जाता है दुख अंदर तक।
क्यों कर हुआ होगा वह
इतना मजबूर?
इस उम्र में, तपती धूप में बैठ
बेचने के लिए
सुबह से शाम तक,
सब को आशा भरी निगाह से
ताकता हुआ।