महाप्राण अटल
महाप्राण अटल


आज़ादी की लड़ाई में हुए शामिल तुम,
गाँधी के आंदोलन में कदम से कदम मिलाया।
महत्व शिक्षा का समझाया तुमने
देश को सर्व शिक्षा अभियान दिया।
आवश्यकता अच्छे पड़ोसी की जानते थे तुम
मित्रता को उनसे भी, तुमने पूर्ण प्रयास किया।
होता आत्मविश्वास क्या है, कोई तुमसे सीखे
कारगिल के धोखे पर भी,
LOC लांघने से, तुमने इंकार किया।
होता आत्मसम्मान क्या है, कोई तुमसे सीखे
तुमने अमेरिका को भी मुँह तोड़ जवाब दिया।
होती दया क्या है, कोई तुमसे सीखे
नतमस्तक शत्रु को भी,
जब तुमने सुरक्षित लौटने का मार्ग दिया।
युद्धोपरांत कारगिल के, परिवार के शहीदों का
तुमने ही तो ख्याल किया।
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विरुद्ध थी दुनिया सारी, अमेरिका ने भी डराया था
पर अटल या निश्चय तुम्हारा,
तुमने देश को परमाणु का उपहार दिया।
लौह पुरुष ने बनाया था देश, कस्बों को जोड़
विकास पुरुष तुम,
तुमने देश को प्रधानमत्री-सड़क-योजना ने जोड़ा।
निश्छल थी राजनीति तुम्हारी
देश सेवा में तुमने सर्वस्व अपना त्याग दिया।
कवि अद्वित्य थे तुम, कविता से ही तो
तुमने विश्व सम्पूर्ण में यलगार किया।
ध्वज ना झुकना पाए स्वतंत्रता दिवस को
श्वास त्यागने को भी अंतिम तुमने,
एक दिन का इंतज़ार किया।
नतमस्तक विश्व है
अश्रु सजल है, कोटि नयन,
हे महाप्राण, त्याग अंतिम श्वास तुमने
आज हम सबको अनाथ किया।