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अंकित शर्मा (आज़ाद)

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अंकित शर्मा (आज़ाद)

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मेरी मुस्कान तुम

मेरी मुस्कान तुम

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तुमने सिर्फ वो तस्वीरें देखी हैं जिनमें मैं मुस्कुराता हूं,

तुमने सिर्फ वो किस्से सुने हैं इनमें मैं जीत जाता हूं,


पर सच तो ये है

बहुत बार हारा हूं,

रोया हूं कई बार।

कई बार टूटा हूं,

बिखरा हूं जार जार।।


पर देख कर तुम्हें फिर फिर मुस्कुराता हूं,

सुन मुस्का सको साथ मेरे तुम भी,

किस्से बस वो सुनाता हूं।


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