मेरी कलम लिखेगी
मेरी कलम लिखेगी
मेरी कलम सत्य लिखेगी
इस धरातल के वीर थे
उन्हें अमर लिखेगी।
नगर नगर ढोल बजा दो जी
ये अब झुकेगी नहीं
सरफिरे की कलम है
यह रुकेगी नहीं।
यह गुलाम नहीं है
आजाद लिखेगी
मां भारती पर जो बलिदान हुए है
उनके जज्बे को बार-बार लिखेगी।
दबाना चाहते हो कलम को
तो दबा लेना
इसी मंच से नया उद्घोष लिखेगी।
सत्य को कोई टाल नहीं सकता
अंग्रेजों का साथ ना दिया होता
एक भी क्रांतिकारी को कोई मार नहीं सकता।
भारत की बदलती तस्वीर लिखेगी
बलिदान हुए जो है उन्हें नमन मेरा
नेहरू हो या मीर जाफर
गद्दार को गद्दार लिखेगी!!
मेरी कलम लिखेगी राणा को महान!
लिखेगी शिवाजी का हिन्दुस्तान!!
मां पन्ना का पुत्र त्याग
लिखेगी पद्मावती का अग्निधान!
हाडा रानी का शीस दान!!
लिखेगी धोला गुर्जरी का रण का मैदान
रणचंडी मुगलों पर चढ़कर बोली थी
दुर्गावती जिसका नाम!!
दिए जिसने मातृभूमि पर अपने प्राण
मेरी कलम लिखेगी अवंतीबाई के साहस को!!
रण में गदर मचा देती हैं
झुकी नहीं किसी अंग्रेज़ से
तलवारें तक खा लेती हैं!!
लिखूं इस रानी के सम्मान को
लिखूं लक्ष्मीबाई के बलिदान को!!