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Neerja Sharma

Others

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Neerja Sharma

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मेरी बहन

मेरी बहन

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मेरी छोटी बहन

दुनिया में सबसे अलग

सबसे विशेष

हर काम में अदभुत

जब हम किताबों से

रट्टे लगाते थे 

धीरू कविताएँ लिखती थी

पापा की बुक्स पढ़ जाती थी।


परिवार में छोटी 

सबकी लाडो

सुबह सोई को जगाना

भैया का डरते डरते 

प्यार करना

फिर छेड़ वहाँ से चले जाना।


वो दिन भी क्या दिन थे 

तीनो में उम्र का अन्तर 

पर न किसी बात की होड

न किसी बात की जलन

जो मिला सो बाँट कर खाया 

कभी किसी चीज़ को न मन ललचाया।


माँ-पापा के संस्कार कहो 

या भगवान का आशीर्वाद

जब भी जो मिला अच्छा ही मिला।

पढ़ाई लिखाई विरासत में पाई 

पर धीरू हमेशा श्रेष्ठ ही आई।


छोटी थी, लाडली थी 

पापा के सबसे करीब

छेड़ने में बड़ा मजा आता था

पर मना भी लिया जाता था।

यह सब कालेज तक चलता रहा 

विनय और विजय भैया मिल जाते 

बात कुछ न होती पर मजे बड़े आते।


पढ़ाई में हमेशा अव्वल 

हर विषय की ज्ञाता

संस्कृत आनर्स 

पंजाब यूनिवर्सिटी

गोल्डमैडलिस्ट।

लेकिन मास्टर्स

इकोनोमिक्स व अंग्रेजी

बी एड, एम एड

और तो और 

ज्योतिष विशारद

फिर से टापर 

वो भी....


घर-गृहस्थी व नौकरी के साथ

अध्यापन व लेखन साथ-साथ

दोनों में ही महारत

मतलब...

अवार्ड व पुस्तकें दोनों झोली में।

माना विरासत में पढ़ाई व ज्ञान लबलबाता हुआ।

पर...

शादी के बाद फुल क्रेडिट

बृज जी

धीरू के पति 

हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणास्रोत।


स्कूटर, कार सिखाने से लेकर

हर जगह साथ देना 

आज के युग में नहीं है आसान

इसी वजह उसने पाया उच्च मुकाम।

माताजी, बाऊजी 

है ममता की मूरत

मानो...

माँ-पापा की दूसरी सूरत।

नज़र न लगे 

ससुराल उसका मायका लगे।


सबको मिलता है वहाँ सम्मान

अपना हो या हो मेहमान।

श्याम व राधा का है वहाँ वास

हर कोई बुझाता है वहाँ ज्ञान की प्यास

माता जी के पास है अनुभव का भंडार

हर समस्या का हो जाता है वहाँ समाधान।


अरे कहाँ से शुरू

कहाँ पहुँच गये

चलो बात फिर से

धीरू से शुरू करें।

उसकी बातें हैं 

अनंत और अनगिनत 

बच्ची से बड़ी

अनुभवी व सशक्त।

जो बात बात पर गुस्सा हो

हाथ पकड़ी चीज तोड़ देती 

वही धीरू आज हर बात को जोड़ती है।

उसकी सलाह हर समय काम आती है 

ऐसे समय में वह बड़ी नजर आती है।


घर-गृहस्थी,

नौकरी-पढाई,

लेखन-प्रकाशन,

हर जगह 

हमारी छुटकी 

नम्बर वन।

शादी से पहले 

पापा की लाडो

पर शादी के बाद

बृज जी की...

हर कदम पर उसका 

दिया है साथ

तभी तो पहुँची वह

उच्च मुकाम।


जन्म दिन पर शुरू किया 

आज यहाँ पहुँची 

आगे की बातें किसी और दिन कहुॅंगी।

कुछ मजेदार किस्से सुनाऊँगी 

यादों के किस्से को आगे बढ़ाऊँगी...


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