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Neena Ghai

Others

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Neena Ghai

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मेरी अना

मेरी अना

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बड़ा अफ़सुर्दा हो खोया था अपने ख्यालों में

किसी ने दिल पे हौले से दस्तक दी

बड़ी गफ़लत निगाहों से मैंने देखा,

सामने मेरी अना खड़ी थी

“क्यों मुस्तकबिल तबाह करने पर तुला है?”

वह धीरे से बोली थी।


क्यों बन जल्लाद, जल रहा दोज़क की आग में,

मैं हर वक्त तेरे साथ हूँ, मैं अना हूँ तेरी,

आज मैं बन दोस्त आई हूँ तेरी

संजीदा हो सोच मैं रक़ीब भी हूँ तेरी


क्यों इतना बढ़ गया है अपनी इस

तिशनगी को लेकर

कुछ हासिल न होगा इस भागम भाग से

रह जायेगा अकेला इस ख़ूबसूरत दुनिया की

इस कहकशाॅं में


अब यह तुझ पर दसतराब है

तूँ मुझे अपनी आग़ोश में लेता है या

तूँ मुझे तगाफुल करता है।


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