मेरा नाता
मेरा नाता
बेंच और मेरा नाता दशकों पुराना,
जब पैदा हुआ,
माँ ने पिलाई थी पोलियो की दवा,
तो हमने बेंच पे किया था डाक्टर
का इंतजार।
फिर स्कूल जाना शुरू किया,
तो भी बैठता था बेंच पे,
बहुत अच्छे थे सहपाठी मेरे,
मिलजुल कर करते थे पढ़ाई,
बहुत बढ़िया जिंदगी थी भाई।
बेंच की वफ़ादारी पे मुझे हमेशा
रहा गर्व,
अध्यापक को कभी नहीं पता
चला गर्दन नीचे करके क्या
करते थे हम।
फिर कभी कभी पार्क में टहलने जाता,
तो बेंच पे ही सुस्ताता,
बेंच बेचारा कभी बुरा नहीं मनाता।
फिर कभी बस या ट्रेन पकड़ता,
तो भी घंटों बेंच पे बैठता,
बेंच मेरे इंतजार का बनता गवाह,
इससे मेरा प्यार है बेपनाह।