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Rekha Verma

Others

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Rekha Verma

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मेरा गुलाबी शहर

मेरा गुलाबी शहर

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मेरा शहर गुलाबी गुलाबी

की अदा है बड़ी नवाबी

मुस्कुराहट जिसकी अनमोल निशानी

कहती है कोई प्यारी सी कहानी

जयपुर है जो राजस्थान की राजधानी

लगती है जैसे कोई महारानी

सुंदर सुंदर महल चौबारे

बड़ी चौपड़ पर हसीन फुहारे

फुहारे मेरे तन मन को भिगोए

गुलाबी ठंडक का अहसास कराएं

जंतर मंतर की छटा निराली

जयपुर की वेधशाला पुरानी

जो करती मौसम विभाग की भविष्यवाणी

हवा महल की बात अनोखी

कितने इसमें खिड़की झरोखे

शान से यह शहर को निहारे

आलिंगन करने को बाहें पसारे

कान्हा जी का मुकुट कहलाए

देसी पावणे देखने को आए

यह मन ही मन इठलाए

जयपुर का मान सम्मान बढ़ाएं

मोती डूंगरी दिल ललचाए

आओ प्यारे गणेश को मनाए

बिरला मंदिर की भी शान निराली

जैसे रात में चमके दुल्हन नूरानी

गोविंद देव जी मैं कान्हा विराजे

जयपुर वासी कान्हा के शीश नवाजे

जल महल भी जल के अंदर

किलोल करें मन नाव के अंदर

गण गणेश की पहाड़ी का बैठा

दिन रात वह पहरा देता

जयगढ़ की भी शान निराली

जैसे हो परियों की रानी

कहती है सब से कोई कहानी

आमेर में बैठी है सिला देवी

सबकी बिगड़ी बात मनाती

जो श्रद्धा से शीश झुकाए

उनकी सोई किस्मत जगा जाए

चूरमा बाटी के लिए जाना जावे

बढ़े चाव से सब भोग लगावे

लाख का चूड़ा खन खन खनके

बंधेज चुनरी प्यार से हरके

तीज त्योहार की बात निराली

तीज माता की निकली सवारी

गणगौर में गौरी माता भावे

सोलह दिन पूजन करके सुहाग मनावे

यह है मेरा शहर गुलाबी

इसके ठाठ बाट है नवाबी



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