मेरा बचपन
मेरा बचपन
वो बचपन कितना प्यारा था
जग में सबसे न्यारा था
भाती हमें किस्सें व कहानी
रोज सूनाती दादी नानी
रोज इक नया पिटारा था
वो बचपन कितना प्यारा था
छोटी ख़ुशियों में हँस देना
जब चोट लगे तो रो देना
प्यार का मलहम लग जाता था
वो बचपन कितना प्यारा था
जग में सबसे न्यारा था
पल पल बदलते सपने थे
पर रहतें साथ में अपने थे
मेरी इच्छा पूरी करने को
क्या -क्या ना कर गुजरते थे
वो बचपन कितना प्यारा था
जग में..
करते जब हम नादानियाँ
सबकी बढ़ जाती परेशानियाँ
वो माँ -पापा की डाँट फटकार
कब लाड़ दुलार बन जाता था
वो बचपन कितना प्यारा था
जग में सबसे।
ना कोई डर था ना कोई फिक्र था
बस खेल -खिलौनें का ही जिक्र था
अपनें में खुश रहतें थे
सपनें नए संजोतें थे
वो बचपन कितना प्यारा था
जग में.
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