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Om Prakash Fulara

Others

4.0  

Om Prakash Fulara

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मेला

मेला

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घाट-घाट पर बाट-बाट पर

लगा हुआ है मेला

आने जाने वालों का यहाँ

लगा हुआ है रेला।


कहीं जलेबी कहीं पकौड़ी

कहीं लगा है झूला

इस मेले की रौनक में

अपना दुःख हर जन भुला।


बच्चों के मन भाए खिलौने

मचले बारंबार

कोई खरीदे गुड्डे गुड़िया

कोई मोटरकार ।


कहीं चले हैं खेल तमाशे

कहीं गानों की बहार

आसमान को छूता झूला

चलता बारंबार।


पियवा के संग आए गोरी

लेवे सोला सिंगार

चूड़ी कंगना सूरमा बिंदिया

और गले का हार।


दिनभर देखे खेल तमाशे

भर के लावे थैला

घाट-घाट पर बाट-बाट पर

लगा हुआ है मेला।


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