मेहनत का फल
मेहनत का फल
मेहनत के फल, अब फलने लगें हैं।
मेरी मुस्कुराहट से कुछ लोग जलने लगे हैं।।
कैसी डगर है,ये कैसा सफ़र है
यहां कैसे हैं लोग, ये कैसा शहर है
सूरज और चांद साथ चलने लगे हैं।
मेरी मुस्कुराहट से कुछ लोग जलने लगे हैं।।
मंजिल थी दुर, था मैं भी मजबुर
देख मुझको यहां, कितने जा रहे दुर
तो कोई मिलने को मुझसे,मचलने लगे हैं।
मेरी मुस्कुराहट से कुछ लोग जलने लगे हैं।।
दोस्त हैं हजार,लाखों हैं दुश्मन
चलूं साथ सबके, यही है मेरा मन
कोई समझने तो कोई संभलने लगे हैं।
मेरी मुस्कुराहट से कुछ लोग जलने लगे हैं।।
