मौसम
मौसम
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हवा की सरसराहट से
टूटता है
दूर तक फैला हुआ
सन्नाटा
पत्तों की खड़खड़ाहट से
टूटती है
सृष्टी को घेरे हुए
अंधेरे की नींद
इक सौगात के
दिन के लिए
सहलाती सिमटती
मुलाक़ात के लिए
मैंने जो सँजोई हैं
सुन्दर तस्वीरें
उन्हें हक़ीक़त में
बदलने के लिए
चटख लाल रंग के
फूलों की
पगड़ी बाँधे हैं पलाश
हल्के पीले फूलों का
गजरा पहने है
अमलतास
दूर तक छोड़ रहे हैं
महुआ अपनी
नशीली गन्ध
कुछ सोच- समझकर
मैंने किया है आमंत्रित
द्वार खोलकर
सबको अंदर
यह खुशियों का है मौसम
यह बसंत का है मौसम ....