मौसम
मौसम
ठंड, गरमी, वर्षा, वसंत ऐसे है कुछ मौसम
जिन्हें जानते है हम।
हमारी सोच है बहुत छोटी
मौसम का नाम सुन
इन्का ही स्मरण करते है।
मौसम आर्थात नहीं है सिर्फ़ यही
यदि अपने असीम विचारों का प्रयोग किया जाए
तो इसे समझने में कोई कठिनाई होगी नहीं।
खुशी, दुख, यह नहीं है केवल भाव, बल्कि है यह तो मौसम भी
इन्हें समझने में देरी हो गई हमें ही।
परीक्षा! इसे कैसे भूल गए
यह भी तो एक मौसम है
उसी तरह जिस प्रकार, त्योहारों का
उस्ताह-उमंग से भरा मौसम है।
जिस प्रकार किसी नन्हें शिशु के जन्म होने पर
सबके मुख पर मधुर-सी मुस्कान रहती है
मौसम बदला-सा लगता है, जहाँ चारों ओर खुशियाँ छाई हो।
किसी कार्य में हुए हो असफल
तो दुखी होते है
मौसम भी ऐसा ही लगता है
खुशियाँ तो, खो देते है
परीक्षा के वक्त तनाव में हम रहते है
मौसम फिर बदल जाता है
कब ज्ञात ही नहीं हो पाता।
खेल-कूद का यह जोशीला मौसम
जिसमेम अक्सर बच्चे शामिल होते है
भोजन का कोई अता-पता ही नहीं रहता
गिर जाए फिर भी बच्चा कुछ नहीं कहता।
और, शादियों का यह मौसम
जहाँ सब एकत्रित होते है
विभिन्न रस्में होती हैं
जो मिल-जुलकर काम करने की भावना सिखाती है।
और काम करनेवाला यह मौसम
जो अक्सर दफ़्तर में दिखता है
जहाँ लोग मेहनत और लगन से काम करते है
और मेहनत की कमाई से अपना पेट भरते है।
यह मौसम तो यू ही बदलते रहते हैं
प्रत्येक का अनुभव करना चाहिए
क्योंकि कहाँ है किसी ने-
यदि धूप चाहते हो,
तो भारी तूफ़ान का सामना करना अत्यावश्यक है।