मौन सहन नहीं होता
मौन सहन नहीं होता
अब और मौन सहन नहीं होता तेरा
बोलो तुम क्रोधित होकर ही बोलो तुम
अनुनय विनय है मेरा अब तो कुछ बोलो तुम
मौन अब सहन नहीं होता-------
मेरे हृदय में बसे हो जैसे
राधा के हृदय में कृष्ण
बहुत प्रतीक्षा कर ली मैंने
अब तो कुछ तो बोलो तुम
अब मौन सहन नहीं होता ----
गीली लकड़ी सी सुलग रही हूं
ना जलती हूं ना बुझती हूं
सुधि मेरा लेगा कौन आज्ञा तेरी शिरोधार्य है मगर
पानी सर से अब उठ रहा
मौन होकर ना रहो तुम अब तो कुछ बोलो तुम
अब मौन सहन नहीं होता---------
धैर्य मेरा चूक रहा है आंखें अविरल बह रही है
मन मेरा विचलित होता जा रहा है
अब तो मुझे आवाज दो
नतमस्तक होकर मौन साधना
मैंने भी सीख लिया है अब तो कुछ बोलो तुम
मौन अब सहन नहीं होता ------
हृदय में कोलाहल मन व्यथित है
मन मेरा व्याकुल तुम्हें सुनने को आतुर है
अमृतवाणी ना सही
कटु वचन ही बोलो तुम अब घुटन सहन नहीं होता
मौन समस्या का हल नहीं होता
कुछ तो बोलो तुम
अब तो कुछ तो बोलो तुम।
