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कुमार संदीप

Others

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कुमार संदीप

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मैं नदी हूँ

मैं नदी हूँ

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क्रोधित हूँ

अत्यंत दुखी हूँ

मन व्याकुल है

हूँ मजबूर, बेबस

मेरी पीड़ा से कोई सरोकार नहीं है, किसी को?

हाँ मैं नदी हूँ।।


जब अवांछनीय पदार्थ

मेरी झोली में डाली जाती है

मैं अंतस तक टूट जाती हूँ

हाँ मैं पूर्णतः टूट जाती हूँ

मेरी आँखों से अश्रु की धाराएं बहती है

हाँ मैं नदी हूँ।।


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