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Monika Garg

Others

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Monika Garg

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मैं नारी हूँ

मैं नारी हूँ

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मैं नारी हूँ।

अबला नहीं कमजोर नहीं

अपनों के मान की ख़ातिर,

बस अपनों से ही हारी हूँ,

मैं नारी हूँ।

फूलों सी कोमलता मुझ में

पत्तों सी नरमाई है,

पृथ्वी से मैंने

सहनशीलता पाई है,

बन के उठूँ ज्वाला तो

मैं सब पर भारी हूँ,

मैं नारी हूँ।

पानी की शीतलता मुझ में

समुन्दर की गहराई है,

चाँद की चांदनी

मुझ में समाई है,

शक्ति का प्रतीक मैं

मैं ही चंडी काली हूँ,

मैं नारी हूँ।


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