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अमित प्रेमशंकर

Others

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अमित प्रेमशंकर

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मैं कुछ दिन का मेहमान प्रिये।

मैं कुछ दिन का मेहमान प्रिये।

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अब पूछ मेरा ना हाल प्रिये

मैं कुछ दिन का मेहमान प्रिये

रख लेने दे सिर दामन में

फिर तो अपना श्मशान प्रिये।।


द्वारपाल सब यम लगते हैं

दासी सब बेईमान प्रिये

खंडहर लगता राजमहल

सारी नगरी बेजान प्रिये

अब पूछ मेरा ना हाल प्रिये

मैं कुछ दिन का मेहमान प्रिये।।


कैसे होंगे मेरे राम सिया

कैसा वो हठिया लखन प्रिये

ये दृश्य देखने से पहले

क्यों निकले ना मेरे प्राण प्रिये।

अब पूछ मेरा ना हाल प्रिये

मैं कुछ दिन का मेहमान प्रिये।।


ये वैद्य औषधि निरस्त हुए

अब ना बन तू अनजान प्रिये

ये राजभोग लगते हैं मुझको

सब विष के समान प्रिये

अब पूछ मेरा ना हाल प्रिये

मैं कुछ दिन का मेहमान प्रिये।।


    


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