मैं अगर तितली होता
मैं अगर तितली होता
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मैं अगर तितली होता तो रंग
बिरंगे फूलों का रस पीता,
मैं अगर तितली होता
इंद्रधनुष के रंगों जैसी
होती मेरी दुनिया,
इस डाली से उस डाली
पर होता मेरा बसेरा
मैं अगर तितली होता
खुली हवा में उड़ता फिरता
आसमान से बातें करता,
कोई ग़म ना होता मुझ को
ना कोई दुःख होता
मैं अगर तितली होता
बच्चे देख खुश होते मुझ को
बड़े देख मुस्काते,
इससे धरती के सारे दुःख
मैं अपने में हर लेता
मैं अगर तितली होता
मैं अगर तितली होता।।