मातृ भूमि
मातृ भूमि
शत्रु नें ललकारा है माँ,
मैंने कसम उठाई है l
उसको धूल चटाउँगा मै,
बात देश की आई है l
देश पर आँच न आने दूँगा,
चाहे जान गवां दूँगा l
मातृभूमि की आन बचा,
तेरे दूध का कर्ज चुका दूँगा l
पीठ पर गोली मत खाना,
माँ तुमने ही आदेश दिया l
देश की शान बढ़ाने को,
जिस दिन वर्दी का वरण किया l
उसको भी कह देना माँ
कि तनिक भी विचलित न होवे,
अगर शहीद हो गया मैं,
तो धीरज अपना न खोवे l
जिस सिंहनी नें सिंदूर अपना,
मातृभूमि को दे डाला l
नहीं अभागन, सदा सुहागन,
रहेगी वो श्रेष्ठ बाला l
एक सैनिक के पापा हैं वो,
उनको भी समझा देना,
देश के हित में साझेदारी,
उनकी भी बतला देना l
मुन्नी को कह देना उससे,
दूर नहीं मैं जाऊँगा l
स्वप्न लोक की सैर कराने,
रोज उसे मैं आऊँगा l
लिपट तिरंगे में आया तो,
बहना को ये कह देना l
तिलक तिरंगे को कर के
छाती पर राखी रख देना l
छोटे भाई को कहना,
न लहू को ठंडा होने दे l
बाद मेरे वो चैन से एक पल,
शत्रुओं को न सोने दे l
भारत की माँएं देश की खातिर,
वीर हजारों जनती हैं l
मातृभूमि की रक्षा के हित,
कुर्बानी से नहीं डरती हैं l