मांग लो अपने लिए भी प्रशस्ति-पत्र..
मांग लो अपने लिए भी प्रशस्ति-पत्र..
कविताओं सुनों !
करो परिवर्तन स्वयं के रचे में ,
बहिष्कार करो
सम्मेलनों में बजती करतल ध्वनियों का ,
आमंत्रण दो आम आदमियत की मुस्कराहट को,
बदल डालो पर्याय
व्याकरणों के ,
स्वछंद उड़ना सीखो
साथ पतंगों के ,
कविता हो
कविता की ही तरह बनो-ठनो
मत उलझो लेखों के तर्को में ,
उठो, गढ़ो नये बिंब
नए-नए ग्रह-नक्षत्र मांगो अपने लिए
अंतरिक्षों से ,
सुनों..
तुम भी शामिल हो
धरती, पेड़, हवा, बारिश, धूप..बनाने की प्रक्रिया में
मांग लो अपने लिए भी प्रशस्ति-पत्र
सभ्यताओं से !!