माँ
माँ
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गुण अनन्त साहस अनन्त
चैतन्य कृति हो ईश्वर की
गाते ही जाऊं महिमा मैं
फिर भी ना गा पाऊँ गाथा जिनकी
सहनशीलता, साहस अति भारी
कष्ट पुत्र के हर जाति है
दुश्मन पास कभी आ ना पाये
छाया बनकर साथ जो रहती है
गीले पर खुद सो जाती
सूखे पर मुझे सुलाती है
चिंता में मेरी रात भर खुद है जागती
लोरी गा गाकर मुझे सुलाती है
शत्रु हो जो पास दिखे
खुद को आगे कर देती है
चाहे खुद पर संकट आ जाये
मेरे हर दुख को हरती है
माँ के भीतर है अनंत गुण बसे
हर माता मुझे सुहाती है
हर माता मुझे सुहाती है।