माखन चोर
माखन चोर
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देवकी से जन्मे, जग में यशोदा के लाल कहलाये।
वसुदेव पिता बने, परंतु नंद किशोर का नाम पाये।
बाल्यकाल से ही माखन खाना इनको बहुत भाता।
न मिले तो चुराते, हर कोई माखनचोर कह बुलाता।
ऊंचाई पर टांगी हुई माखन की मटकी देते थे फोड़।
गोकुल की गोपियाँ थक जाती थीं, हाथ जोड़ जोड़।
आ गई है जन्माष्टमी, गली गली में मच गया है शोर।
पधारेंगे कान्हा, मुरलीधर, माखन चोर, नंद किशोर।
