लोक व्यवहार, नेग रिवाज
लोक व्यवहार, नेग रिवाज
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अपना क्या कसूर,
ये तो दुनियाँ का है दस्तूर,
चली आ रही प्रथा,
घर - घर की ये कथा,
शगुन है नेग रिवाज,
यही है लोक व्यवहार...
इसको रिश्वत न समझना,
ये तो प्यार का इजहार,
छोटों को खुश करता है, '
बड़ों का दिल से सम्मान,
लोक व्यवहार, नेग रिवाज...
