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manish shukla

Others

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manish shukla

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लोक व्यवहार, नेग रिवाज

लोक व्यवहार, नेग रिवाज

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अपना क्या कसूर,

ये तो दुनियाँ का है दस्तूर,

चली आ रही प्रथा,

घर - घर की ये कथा,

शगुन है नेग रिवाज,

यही है लोक व्यवहार...

इसको रिश्वत न समझना,

ये तो प्यार का इजहार,

छोटों को खुश करता है, '

बड़ों का दिल से सम्मान,

लोक व्यवहार, नेग रिवाज...



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