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लोग हमें शायर बताते हैं

लोग हमें शायर बताते हैं

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आज कल दिल की बातें हम कविता में जताते हैं,

और शायद इसीलिए लोग हमें शायर बताते हैं।


बड़े चाव से पढ़ते हैं सभी मेरे अल्फाज़ो को,

फिर ज़ेहन से लगा लेते हैं मेरे जज़्बातों को,

मेरे घाव शायद उन्हें भी कुछ ख़्वाब दिखाते हैं।

और इसलिए लोग हमें शायर बताते हैं।


हैरानियत करती है लोगों को यह कलाकारी,

पूछते हैं आखिर कैसे की लिखने की तैयारी,

बस टूटे दिल की व्यथा हम शब्दों में सुनाते हैं।

शायद इसलिए लोग हमें शायर बताते हैं।


कुछ ने हमें ज़ख्म तो कुछ ने घाव दिया,

मरहम के नाम पर कुछ नमक लगा दिया,

हमारे तो मरहम भी घाव के गीत गाते हैं।

और इसलिए लोग हमें शायर बताते हैं।


ना मैं शायर ना ही शायरी मेरा काम है,

ख्वाबों में रहती हूँ, ख्वाबिदा मेरा नाम हैं।

माँगी दुआ तो सितारे भी टूटकर गिर जाते हैं।

और इसलिए लोग हमें शायर बताते हैं।


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