लेडी प्लाज़ो की आत्मकथा
लेडी प्लाज़ो की आत्मकथा
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मैं प्लाज़ो
मेरी कहानी भी बड़ी अजीब,
चला आ रहा हूँ मैं, बाबा
आदम के जमाने से,
पर किस्मत मैंने भाई, बड़ी
ग़जब की पायी।।
पहले तो सिर्फ़ एक ही रूप
में मिलता था मैं,
औरतों का कम,आदमियों का
ज्यादा प्यारा था मैं,
अब देखो हजार रूप है मेरे,
रंग और डिज़ाइन भी बखूबी है मेरे,
और तो और आदमियों को छोड़,
औरतों के कपड़ों की शोभा हूँ मैं।।
हर ड्रेस के साथ ऐडजस्ट कर
जाता हूँ मैं,
कभी एक दम लूज़ तो कभी पेंट
स्टाइल में भी नजर आता हूँ मैं।।
और जो स्त्री मुझे धारण करे,
उसके रूप को और संवारता हूँ मैं।।
यहाँ तक गर्मियों मे तो एयर कंडीशनर
का काम भी करता हूँ मैं।।
पर इन सब के बावजूद भी,
थोड़ा बहुत दुख भी उठाता हूँ मैं,
जब कभी कोई मुझे, पहन कर घूमने जाये,
तो सड़कों पे रगड़ कर धूल चाट जाता हूँ मैं,
कोई मेरी कोई परवाह ही नहीं करता,
जब सैंडल के नीचे दब जाता हूँ मैं
कसम से दर्द तो बहुत होता है,
बस पहनने वाले की इज़्ज़त की ख़ातिर
तब चुप ही रहता हूँ मैं,
दुख तो सबसे ज्यादा तब होता है,
जब कभी मेरा जाना वाशरूम के
अंदर होता है
कसम से तब अपने वजूद पे रोना
बहुत होता है।।
मेरा कलेजा फट कर बाहर आ जाता है,
जब मैं भी गीला हो जाता हूँ,
पर कुछ भी कर नहीं पाता हूँ
अपना सा मुँह ले कर रह जाता हूँ मैं।।
पर हिम्मत नहीं हारता हूँ मैं
अपने ऊपर किये गए हर अत्याचार
बदला सिर्फ एक ही बार मैं लेता हूँ।।
क्योंकि मैं एक प्लाज़ो हूँ
जब कोई मुझे पहन कर भागने
की कोशिश करे
तो उसको अपने में ही उलझा के
गिरा देता हूँ मैं,
और तो और मुझे पहन कर अगर
कोई कपड़े धोएं तो,
उसको ऊपर से नीचे तक
भीगा देता हूँ मैं
क्योंकि मैं एक प्लाज़ो हूँ ।।
क्योंकि मैं एक प्लाज़ो हूँ।।