वो आखिरी साँसें जिंदगी की पेहली लगने लगती है। वो आखिरी साँसें जिंदगी की पेहली लगने लगती है।
राही की अंतिम अभिलाषा...! राही की अंतिम अभिलाषा...!
हर आखिरी पन्ने के बाद, कहीं कोई पहला पन्ना मौजूद मिलेगा...! हर आखिरी पन्ने के बाद, कहीं कोई पहला पन्ना मौजूद मिलेगा...!
तुम जो चली गई हो अब, हर दिन तुम्हारा वहीं इतंजार करता हूं ! तुम जो चली गई हो अब, हर दिन तुम्हारा वहीं इतंजार करता हूं !
एक उम्र और मिले जिसे जी भर कर है जीना, अपने हिस्से का आसमान अब हमे है छूना। एक उम्र और मिले जिसे जी भर कर है जीना, अपने हिस्से का आसमान अब हमे है छूना।
ग़रीब वो होते हैं, जिनके सिर पर छत नहीं होती. ग़रीब वो होते हैं, जिनके सिर पर छत नहीं होती.