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Dr Rakesh R Mund

Others

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Dr Rakesh R Mund

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क्यूँ सोचना

क्यूँ सोचना

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मोह माया सब छोड़ो अब, वह छोड़ने वाली है ।

मत करो समर्पण उसपर कि, समय बोले काली है ।।


तन सफेद है मत पड़ो तुम, चलो लक्ष्य देखा करो ।

जगत बहुत बड़ा सोचो मत, उम्मीद तुम रखा करो ।।


सूर्य की तीखी रश्मि है, तिमिर जैसा तू प्रभा बन

छोड़कर जाए जाने दे, चल चमकीला आभा बन ।।


पतझड़ जाते हराभरा है, फिर क्यों उदास है तू अब।

एक गई कि दूजा मिलती, तू उड़ना सिख मिलता सब ।।


क्यों सोचना लायक नहीं कि, अब वो मूल्य भी नहीं।

क्यों सोचना घायल हुए कि, अब मिले दर्द भी वहीं ।।


आगे चल के आग लगा तू, कि माँगे पानी पानी ।

राजा है तो राजा बन तू, मिलते रहेंगे रानी ।।


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