Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Bhanu Soni

Others

2.1  

Bhanu Soni

Others

क्योंकि मैं इंसान हूँ

क्योंकि मैं इंसान हूँ

1 min
212



जीवन की इस धारा का, 

एक पन्ना कहीं है अनछुआ, 

ढूंढे उसे तो मिलता भी नहीं 

चलता ही रहता है,

ख्वाहिशों का सिलसिला। 


घिरे हुए हैं दुखों से पर, 

मैं हर गम से अनजान हूँ, 

सँवरते मौसम की नहीं, 

मैं बदलती खुशियों की पहचान हूँ।


लिखा न पढा़ गया कभी जिसे 

मैं ऐसा मौन फरमान हूँ, 

समझोगे तो भला समझोगे कैसे? 

मैं ना सुगम हुँ, ना आसान हूँ। 


जो कर न सके बयाँ,

मुसीबतें अपनी, 

मैं वो मौन फरमान हूँ, 

फिर भी न खौफ तकलीफो का, 

मैं हर गम पर मेहरबान हूँ। 


फिर यदि धरती पर हूँ, 

तो उस खुदा का अहसान हूँ, 

बादल बनकर दुनियां पर बरसूँ कैसे? 

मैं गगन नहीं इंसान हूँ।।

 

पल-पल बदलता है मंजर यहाँ,

पल-पल ये अहसास दिलाता है, 

जो जी लिया, वही बस अपना है,

सपना, सपना ही रह जाता है। 

उम्मीदों का गागर हूँ मैं, 

सपनों की उड़ान हूँ ,

क्योंकि मैं 'इंसान हूँ '।।

   


   


Rate this content
Log in