क्या रखा है !
क्या रखा है !
शक्ल में क्या रखा है?
अक्ल भी देख लिया करो!
दिखावे पर क्यूं मरते हो ?
चरित्र भी देख लिया करो !
दूसरों की ग़लतियों का तो चिट्ठा खुला है!
कभी अपनी भूलो का भी लेख दिया करो।
शक्ल में क्या रखा है?
अक्ल भी देख लिया करो!
डालते हो stories, social sites पर भर भर के
pose बनाते हो artificial smile में हँस-हँस के!
followers, likes और comments में,
झूमते रहते हो!
ना react करे koi तो depressed बने,
घूमते रहते हो!
Mobile के बाहर भी एक दुनिया है तुम्हारी।
खुद से खुद की नज़र ढूँढती तुम्हारी।
बैठ जाया करो अपने ही पास कभी,
यक़ीं मानो ख़ुश होंगे सभी।
नशा ये यक़ीनन बहुत ही बुरा है…
पर, उम्मीद का दामन अब भी भरा है!
अपने ‘आप’ से अपनी बातें किया करो।
मन की सखी को मनमीत जिया करो।
शक्ल में क्या रखा है?
अक्ल भी देख लिया करो!
