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Prabhat Pandey

Others

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Prabhat Pandey

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कविता : इंसान नहीं मिल पाया है

कविता : इंसान नहीं मिल पाया है

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हर मन्दिर को पूजा हमने 

भगवान नहीं मिल पाया है 

इस भूल भुलैया सी दुनिया में 

इंसान नहीं मिल पाया है।।


हर व्यक्ति स्वार्थ में डूब रहा 

मन डूब गया भौतिकता में 

संवेदनाओं का क़त्ल हुआ 

झूठ दगाबाजी करने में 

कौन यहाँ पर ज़िन्दा है 

मुझे समझ न आया है 

इन तथा कथित इंसानों में 

इंसान नहीं मिल पाया है 

हर मन्दिर को पूजा हमने 

भगवान नहीं मिल पाया है 

इस भूल भुलैया सी दुनिया में 

इंसान नहीं मिल पाया है।।


रहकर साथ अलग दिखते हैं 

दौलत पर इतराते हैं 

अपनों को छोड़कर लोग 

गैरों को अपनाते हैं 

भड़काने को आग विकल है 

सबके मन में छुपी जलन है 

कलियुग का सब दोष कहूँ क्या 

इनकी वाणी में फिसलन है 

देवत्व दिला सकने वाला 

वह स्वार्थहीन उपकार नहीं मिल पाया है 

इन तथा कथित इंसानों में 

इंसान नहीं मिल पाया है

हर मन्दिर को पूजा हमने 

भगवान नहीं मिल पाया है 

इस भूल भुलैया सी दुनिया में 

इंसान नहीं मिल पाया है।।



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