कठपुतली
कठपुतली
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यहाँ हर पल चलना पड़ता है
यहाँ हर पल जलना पड़ता है।
हम तुम कठपुतली हैं उसकी
यहाँ हर पल हलना पड़ता है।
हम पांच तत्व के वाहक हैं
यहाँ हर पल गलना पड़ता है।
हम धूल है उसके अंगना के
यहाँ हर पल रलना पड़ता है।
हम भाग्य लिखा कर लाये हैं
यहाँ हर पल तपना पड़ता है।
हम फूल है उसकी फुलवारी के
यहाँ हर पल खिलना पड़ता है।
'सुओम' बूँद हैं उसके बादल की
यहाँ सागर से मिलना पड़ता है।