STORYMIRROR

Kavita Sharrma

Others

3  

Kavita Sharrma

Others

कृतज्ञता

कृतज्ञता

1 min
124

मनुष्य जो इतराता है अपनी कामयाबियों पर

शायद भूल जाता है कि कितनों पर आश्रित है वो

ये सफलता उसकी नहीं केवल योगदान है निरंतर किसी और का भी 

कुदरत देती रही हवा उसे हर पल सांसो के लिए

नदिया निर्मल जल बांटती रहीं सदा

धरती हर मौसम में उसके 

अन्न के भंडार भरती रही

कब रूक सोचा मानव तूने

आश्रय मिला है तुझे हर कदम पे

फिर इतना अहं किस लिए है

कभी तो कृतज्ञ हो कुदरत के


Rate this content
Log in