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PIYUSH BABOSA BAID

Others

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PIYUSH BABOSA BAID

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कर्म।

कर्म।

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कर्म हो अच्छा या हो बुरा,

इसका फल जरूर मिलता है,

कर्म के आधार पर ही,

भगवान हमारा जीवन रचता है।


कर्मों का हिसाब है भारी,

जो करता है चित्रगुप्त अधिकारी,

फल मिलता है वैसा,

जैसा है कर्मों का लेखा।


कर्म तुम्हारे है थोड़े,

मार पड़े आधे अधूरे,

कर्म तुम्हारे है बुरे भरी,

मार पड़े ढेर सारी।


शुभ कर्म देते है शुभ फल,

कार्य बनते है सारे झट पट— झट पट,

दूर कर्म देते है दूर फल,

कार्य बिगड़ते है झट पट— झट पट।


कर्म की गति है तेज,

अच्छे बुरे कर्मों में लगी है रेस,

कर्म करो सोच समझकर,

क्योंकि कर्म आता है हम पर बदल के भेस।


कर्म का डोर है हमारे ही हाथों में,

तो करो वो ही कर्म जो हो शेष।


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