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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

4.5  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"कर्म कर तू कर्म कर"

"कर्म कर तू कर्म कर"

1 min
337


आलस्य का त्याग कर 

कर्म कर तू कर्म कर

किसी से भी तू न डर

दीपक ऐसा तू भीतर


अपने प्रज्वलित कर

तम को कर दे, बेअसर

कर्म कर तू कर्म कर

अधूरे ख्वाब पूर्ण कर


यहां झुका सकता है

तू आसमान का सर

एक बार जरा साखी

हौसला तू बुलंद कर


कर्म कर तू कर्म कर

श्रीकृष्ण को याद कर

जिन्होंने पार्थ को, दिया

भगवद् गीता से, कर्म वर


जो पथ है, सत्य का

उस पर तू सदा चल

गर त्यागना पड़े न

तुझको अपना घर


उसे भी त्याग नर

तू लक्ष्य पर रख

बस अपनी नजर

झूठ के सहारे पर


नहीं पा मंजिल नर

कर्म कर तू कर्म कर

फल इच्छा मत कर

हे मानव तू खुद पर


यहां पर भरोसा कर

अपने देते यहां ठोकर

तू चल अपनी डगर

आत्मविश्वास को धर


तू चीरकर पत्थर

बहा सकता, निर्झर

अपनी पहचान कर

तू है, रोशनी फजर


नामुमकिन कुछ नहीं

गर कर्म दिशा हो सही

कर्म करे हम निरंतर

सूखा सकते है, समंदर


पाता वही मोती, नर

जाता दरिया भीतर

जो पीता, यहां पर

ज़माने का जहर


लगती है, जिसको

ज़माने की ठोकर

वो बन जाता है,

एक अद्भुत नर


कर्म कर,मण भर

यहां पर तू निरंतर

फिर छू लेगा नर

तू हिमालय शिखर



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