STORYMIRROR

भावना भट्ट

Others

3  

भावना भट्ट

Others

क़लम की ताकत

क़लम की ताकत

1 min
244

कभी-कभी मैं वो लिख देती हूँ, 

जो मैं नहीं लिखना चाहती

ज़िन्दगी के उन पहलुओं को कागज़ पर उतार देती हूँ,

जो मैं दुनिया को नहीं दिखाना चाहती 

पर फिर मुझे ख़ुशी भी होती है

अपनी क़लम को देखकर कि 

वो मेरे मनोभावों को बाहर लाने में सक्षम तो है, 

मैं तो इस क़ाबिल भी नहीं 

जो मैं कह नहीं सकती, 

वो बेझिझक कह जाती है, 

मेरे मन में चल रहे द्वन्द्व को 

अपना साथ देकर पल में दूर कर जाती है, 

हर वक़्त मेरे सुख-दुख की साथी बन जाती है 

अँधेरे में वो दीये की नन्ही बाती बन जाती है

फिर मैं सोचती हूँ ये क़लम की ताकत ही तो है

जो मनोभावों की स्याही से मन हल्का कर जाती है

हमारे बिन कुछ कहे ही क्षण भर में सुकून दे जाती है

दुख को न जाने चुपके से चुराकर कहाँ ले जाती है

अगले पल ही मेरे चेहरे की मुस्कान लौटा जाती है

आप भी अपनी क़लम के साथ ज़रूर मुस्कुराइए

जब क़लम हमारे साथ है तो हमें और क्या चाहिए 


Rate this content
Log in