किताब से बात
किताब से बात
किताब से बात करते-करते
कई पल कई दिन बीत जाते हैं
खिलखिलाते अक्षर और ज्ञान से
हम जैसे सचमुच महान बन जाते हैं
तरह-तरह की किताबों में
होती अनेकोनेक जानकारी है
कोई ज़िन्दगी के नैतिक मूल्य सिखाता
कोई जीवन में हमारे यूं खुशियों लाता..
जब कभी मेरा मन उदास होता
तब हास्य व्यंग्य की पुस्तक पढ़ती
जब मन मेरा पुलकित हो उठता
तब तार्किक ज्ञान मैं अर्जित करती..
बचपन से ही जैसे किताब सखी बनी हो मेरी
बड़े प्यार से हाथ में लेकर कहानी पढ़ती हूं तेरी
कभी पहेली का जवाब ढूंढती कभी सवाल सुलझाती
कभी पृथ्वी की सैर करती कभी अंतरिक्ष में चक्कर लगाती
काव्य संग्रह और साहित्य ज्ञान में भी रुचि मैं लेती
सूर, तुलसी, रसखान, कबीर, भूषण की सुध लेती
प्रेमचन्द, हजारी, सोबती, निराला, पंत पसंदीदा मेरे
महादेवी, मोहन, जयशंकर, खुसरो बेहद अजीज हैं मेरे
संस्कृत की सूक्तियों में मानो जीवन का सार छिपा है
इतिहास की किताबों में भविष्य का ज्ञान लिखा है
विज्ञान के प्रायोगिक सूत्रों से अन्वेषण निरन्तर जारी है
गणित, अर्थशास्त्र, भूगोल, अंग्रेजी अब हिंदी की बारी है
किताबें पढ़ना ज़िन्दगी में सबके लिए जरूरी है
मानव से मानवता तक जानो दुनिया इसमें पूरी है
भटक रहे हो यदि जीवन में मार्गदर्शन आवश्यक है
अलख जगाने की प्रेरणा और प्रयत्न इसमें भरसक है।