किस बात का ग़म
किस बात का ग़म
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किस बात का ग़म
आँखें है क्यों नम
क्यों रूक गये तुम
किस बात.....
खता किसकी
मर्ज़ी उसकी
सब रब की मर्ज़ी
किस बात...
तुम को सजा मिली
गुनाहगार हम
या गुनहगार तुम
किस बात...
मेरे वजूद से पूछो
ईमानदारी का सिला
नहीं हमको जरा भी गिला
किस...
यह आँसू तेरे
मेरी पाकिजगी का तोहफ़ा
पर रूक जाओ वही
मिलने की कोशिश ना करो तुम
किस बात का ग़म......
नहीं चाहती रूकना यहां
जहाँ शुरू होता है तुम्हारा जहाँ
चलो दूर हटो
हमको पता अपना जहाँ
किस....
